केशव सुमन सिंह | टीम ट्रिकीस्क्राइब: बिहार की राजनीति एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है। हमेशा की राजनीति के मुख्य केंद्र नीतीश, लालू और तेजस्वी ही हैं। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की राजनीति को ऐसा बना ही दिया है। जिसमें ऐसी राजनीतिक अटकल बार-बार प्रासंगिक हो जाती है।
इस बार मौका राज्यपाल आसिफ मोहम्मद खान के शपथ ग्रहण समारोह था। जहां नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच नजदीकियां कुछ अलग ही लेवल पर नजर आई। गठबंधन टूटने के बाद लंबे समय तक जो तेजस्वी यादव नीतीश कुमार को पानी पी पी कर बुरा भला कह रहे थे। इन दिनों शांत हैं।
बिहार की राजनीति में इस शांति का भी दूरगामी असर देखा गया है। नीतीश कुमार भी तेजस्वी यादव को लेकर अपना रुख नरम रखे हुए हैं। जिसका नतीजा आज राजभवन में देखने को मिला। राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया।
भले ही जदयू, भाजपा और राजद के नेता इस शिष्टाचार आशीर्वाद कह रहे हो। लेकिन राजनीतिक रूप से कभी भी पलटने की छवि बना चुके नीतीश कुमार के इस आशीर्वाद ने बीजेपी के माथे पर बल जरूर डाल दिया है। बिहार में राजनीतिक चश्मे से देखा जाना जरूरी है। यहां आश्चर्य करने वाली बात यह भी है कि जब-जब नीतीश कुमार इस तरह की नजदीकी बढ़ाते हैं। बिहार में सत्ता परिवर्तन हो जाता है। कभी इफ्तार पार्टी, तो कभी हाल-चाल लेने के नाम पर बढ़ा मेलजोल बिहार में सत्ता परिवर्तन का कारण बनता रहा है।
याद दिला दें कि अभी कुछ दिन पहले शीतकालीन सत्र के दौरान सदन के भीतर ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव इशारों में बातचीत करते स्पॉट किए गए थे।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस राजनीतिक आशीर्वाद का मतलब क्या निकलता है!
लालू ने ऐसा क्यों कहा?
राज्यपाल की शपथ ग्रहण समारोह से पहले एक लोकल यूट्यूब चैनल को दिए इंटरव्यू में लालू प्रसाद यादव ने कई महत्वपूर्ण बात कही। लालू प्रसाद यादव ने कहा कि नीतीश के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं।
उन्होंने इसी इंटरव्यू में यह भी कहा कि नीतीश को भी दरवाजे खोल कर रखना चाहिए। इंटरव्यू के दौरान लालू प्रसाद यादव ने इस बात पर जोर देकर कहा कि नीतीश अगर आते हैं तो वह उनके साथ लेंगे। और उन्होंने साथ काम करने की भी इच्छा जताई। लालू प्रसाद यादव ने यह भी कहा कि नीतीश बार-बार भाग जाते हैं और हम माफ कर देते हैं। यानी इशारा साफ है लालू प्रसाद यादव नीतीश कुमार को एक बार फिर से माफ कर चुके हैं। और उन्हें एक बार फिर से सरकार बनाने का ऑफर दे रहे हैं।
इधर शपथ ग्रहण समारोह के दौरान जब लालू प्रसाद यादव के ऑफर को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछा गया तो उन्होंने तुम मुस्कुराते हुए पत्रकारों के सामने हाथ जोड़ लिए। उन्होंने यह भी कहा कि “आज शपथ ग्रहण समारोह का दिन है। पॉलिटिकल बात नहीं करनी चाहिए।”
तेजस्वी ने दिया पॉलिटिकल जवाब
वैसे इधर तेजस्वी यादव के बयान और भाव पर निगाह डाली जाए तो यह घनघोर राजनीति प्रदर्शित करता है। यानी चेहरे के भाव और बयान में जमीन आसमान के अंतर हैं। एक तरफ जहां तेजस्वी यादव नीतीश कुमार से मुस्कुराते हुए आशीर्वाद लेते हुए नजर आए। वही जब उनसे इस नजदीकी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने सीधे से इस सवाल को जानकारी दिया। एक राजनीतिक जवाब देते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि “हम पहले ही कह चुके हैं नीतीश कुमार के लिए हमारे दरवाजे बंद हो चुके हैं।”
इधर यह देखने वाली बात होगी कि यहां लालू प्रसाद यादव तेजस्वी यादव और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर कौन सा खेल खेलते हैं। वैसे बिहार की राजनीति में एक बार फिर से खेल हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
नीतीश के नजदीकियों का नतीजा बिहार चार बार देख चुका है।
नीतीश के मेलजोल से सत्ता परिवर्तन का खेल पांचवी बार भी हो जाए तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।
कब-कब पलटे नीतीश
बताते चलें 16 जून 2013 को नीतीश कुमार ने बीजेपी से 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ा और राजद के साथ गठबंधन किया। 2015 में विधानसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाकर नीतीश सत्ता में आए तेजस्वी डिप्टी सीएम बने। जुलाई 2017 में भी तेजस्वी यादव से मन भर जाने के बाद आईआरसीटीसी घोटाले में लालू परिवार के नाम आने का बहाना बनाकर नीतीश बीजेपी से जा मिले।
तीसरी बार वह फिर उन्होंने 9 अगस्त को अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर राजद के साथ सरकार बनाई। चौथी बार नीतीश कुमार 28 जनवरी 2024 को आरजेडी से हाथ झटक कर बीजेपी की गोद में बैठकर मंत्री पद की शपथ ली। अब नीतीश कुमार की मंशा एक बार फिर से राजद के साथ सरकार बनाने की दिखाई देती नजर आ रही है। जिसकी वजह से बिहार की राजनीति में एक बार फिर से नीतीश कुमार के व्यक्तित्व को लेकर भी बड़ा सवाल खड़ा होने लगा है।
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