टीम ट्रिकीस्क्राइब: रेलवे के तत्कालीन मंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में हुए बहुचर्चित लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में रेल महकमा के 30 अधिकारियों से लेकर कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है। इसमें कुछ रेल अधिकारी सेवानिवृत हो गए हैं। जबकि कुछ अभी भी कई स्थानों पर तैनात हैं। दिल्ली के रॉउज एवेन्यू कोर्ट में इस मामले में मंगलवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआई ने स्पेशल जज विशाल गोगने की अदालत में बताया कि मामले में आरोपी 30 सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिल गई है। यह भी बताया कि मामले में एक आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मिलने का अभी इंतजार है। वहीं पूर्व रेल मंत्री लालू यादव के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति पहले ही मिल चुकी है। अदालत ने मामले को 23 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है।
रेल के सभी नामजद कर्मियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति सीबीआई ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से इस मामले में चार्जशीट दायर करने के बाद ही मांगी थी। इस मामले की जांच तकरीबन पूरी हो गई है। सीबीआई ने 6 मार्च 2024 को इस मामले में अंतिम चार्जशीट दायर की थी, जिसमें 78 नामजद आरोपी बनाए गए हैं। 38 वैसे उम्मीदवार हैं, जिन्होंने गलत तरीके से नौकरी प्राप्त की थी। जबकि, 30 सरकारी मुलाजिम हैं, जो रेलवे मंत्रालय में अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न पदों पर तैनात हैं।
सीबीआई ने 2022 में शुरू की थी जांच
तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद के 2004 से 2009 के कार्यकाल में जमीन लेकर रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी देने का फर्जीवाड़ा बड़े स्तर हुआ था। मामला उजागर होने के बाद इसकी जांच सीबीआई को सितंबर 2021 को सौंपी गई थी। सीबीआई ने मई 2022 में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू की। इसमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती समेत उनके परिवार के सदस्य और करीबियों समेत 15 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था।
इस मामले की जांच में अब तक दो चार्जशीट दायर की जा चुकी है। पहली चार्जशीट 7 अक्टूबर 2022 और दूसरी चार्जशीट 3 जुलाई 2023 में दायर की गई थी। दोनों चार्जशीट दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर की गई थी। पहली चार्जशीट में जिन 15 को नामजद अभियुक्त बनाया गया था, उसमें लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती के अलावा रेल मंत्रालय के कई अधिकारियों के नाम शामिल थे। इसी मामले एक नया मोड़ उस समय आया, जब 27 जुलाई 2022 को लालू प्रसाद के ओएसडी भोला प्रसाद यादव और जमीन देकर रेलवे में नौकरी पाने वाले ह्रदयानंद चौधरी को गिरफ्तार कर लिया गया। इन्हें गिरफ्तार कर दिल्ली के जेल में रखा गया। हालांकि कुछ महीने बाद इन्हें बेल मिल गई। इस मामले कई अन्य लोगों को भी बाद में बेल मिल गई।
सिर्फ दानापुर रेल मंडल के 15 कर्मी
केंद्रीय जांच एजेंसी की तफ्तीश में तीन दर्जन से अधिक ऐसे लोग सामने आए, जिन्होंने जमीन देकर रेलवे में ग्रुप-डी एवं कुछ अन्य पदों पर नौकरी प्राप्त की थी। इसमें कुछ ने कैश देकर भी नौकरी ली थी। इसमें सिर्फ दानापुर मंडल में अलग-अलग स्थानों पर कार्यरत 15 संदिग्ध कर्मियों के नाम सामने आए थे, जिन्हें नोटिस जारी कर नवंबर 2023 में सीबीआई पूछताछ कर चुकी है।
इसमें मनोज कुमार, अमरनाथ प्रसाद केसरी, आनंद कुमार सिंह, बजरंगबली राय, बृजनंदन राय, धर्मेंद्र कुमार, कुणाल कुमार, पंकज कुमार, प्रभाकर कुमार, रंजीत कुमार, धर्मेंद्र कुमार राय, हरेंद्र कुमार, लालचंद कुमार, महेश कुमार और राजनारायण राय शामिल हैं।
#CaseFactSheet
– सितंबर 2021 में मामला सामने आने पर इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी गई
– 25 मई 2022, जमीन लेकर नौकरी देने के मामले में दर्ज की एफआईआर
– 27 जुलाई 2022, भोला यादव और ह्रदयानंद यादव की हुई गिरफ्तारी
– 7 अक्टूबर 2022, 15 को नामदज बनाते हुए दिल्ली कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर
– 3 जुलाई 2023, दिल्ली कोर्ट में ही दूसरी चार्जशीट दायर
– 6 मार्च 2024 को इस मामले में अंतिम चार्जशीट दायर की
यह हो सकता है आगे
इस मामले में अब सभी 78 नामजद आरोपियों पर शिकंजा कसेगा। तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती के अलावा सरकारी और अन्य गैर-सरकारी लोगों के खिलाफ मुकदमा तेजी से चलेगा। अदालत के स्तर पर सभी आरोपियों को सजा सुनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। इस बात की भी संभावना जताई जा रही है कि बिहार की आगामी विधानसभा चुनाव के पहले लालू प्रसाद और उनके परिजनों की गिरफ्तारी भी हो सकती है। गौरतलब है कि इस मामले में बाद में दायर की गई चार्जशीट में बिहार के नेता प्रतिपक्ष और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को भी नामजद अभियुक्त बना दिया गया था।
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