टीम ट्रिकीस्क्राइब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ को ‘एकता के महायज्ञ’ की संज्ञा देते हुए कहा कि भारत अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करता है और नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने इसे परिवर्तन के युग की आहट बताते हुए कहा कि यह देश के भविष्य को नई दिशा देने वाला क्षण है।
श्रद्धालुओं की ऐतिहासिक भागीदारी: संस्कृति की सशक्त नींव
महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की अभूतपूर्व संख्या न केवल एक नया रिकॉर्ड स्थापित कर रही है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और विरासत को मजबूती प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है। प्रधानमंत्री ने इसे सदियों तक भारतीय परंपराओं को संजोए रखने वाली एक सशक्त नींव बताया।
महाकुंभ: वैश्विक शोध का केंद्र
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्रयागराज का महाकुंभ अब न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र रह गया है, बल्कि दुनियाभर के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए भी शोध का विषय बन गया है। इसके आयोजन और व्यवस्थापन से दुनिया सीखने को तत्पर है।
एक भारत, श्रेष्ठ भारत का साक्षात्कार
महाकुंभ में समाज के हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोग एक साथ आए, जिससे ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का भव्य दृश्य प्रस्तुत हुआ। करोड़ों देशवासियों ने इस पर्व के माध्यम से एकता का साक्षात्कार किया और आत्मविश्वास से भर गए।
एकता की अविरल धारा बहती रहे
प्रधानमंत्री ने महाकुंभ की सफलता के लिए नागरिकों की मेहनत, उनके प्रयासों और दृढ़ संकल्प को सराहा। उन्होंने कहा कि इस एकता को अक्षुण्ण बनाए रखने की कामना के साथ वह प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ के दर्शन करेंगे और समस्त भारतीयों के लिए प्रार्थना करेंगे कि यह एकता की धारा अनवरत बहती रहे।
महाकुंभ 2025 न केवल एक धार्मिक आयोजन था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक शक्ति, सामाजिक एकता और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया है। यह महायज्ञ भारत को नई दिशा देने और एक उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करने वाला एक ऐतिहासिक क्षण बन चुका है।
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