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नारी, नीतीश, नजरिया!

by Editor's Desk

मंजुल मंजरी | टीम ट्रिकीस्क्राइब: नारी का नाम आते हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर पर सवाल उठने शुरू हो जाते हैं। अब खबर है कि भले ही नीतीश कुमार ने अपने सिपहसलारों के सलाह पर महिला सम्मान यात्रा का नाम बदलकर प्रगति यात्रा कर दिया हो, जिसे तेजस्वी यादव अलविदा यात्रा का नाम दे रहे हैं लेकिन नाम को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। सबसे बड़ा विवाद तो महिला सम्मान यात्रा के नाम बदलने को लेकर ही है।

सूत्र बताते हैं कि जदयू के वरिष्ठ नेता या यूं कहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी और कुछ खास सीएम हाउस से जुड़े अधिकारियों ने इस मामले में रुचि ही नहीं दिखाई ताकि मुख्यमंत्री महिला संवाद यात्रा कर सकें।

खबर है कि 15 दिसंबर से महिला संवाद यात्रा नीतीश करने वाले थे। लेकिन 14 दिसंबर तक पश्चिम चंपारण जिला प्रशासन ने उन महिलाओं को शॉर्ट लिस्ट ही नहीं किया था, जिनके साथ मुख्यमंत्री को महिला संवाद कार्यक्रम के तहत पेश होना था।

सूत्र तो यह भी बताते हैं की पश्चिम चंपारण जिला प्रशासन की उदासीनता पटना से भेजे गए आदेश के कारण थी। क्योंकि पटना के हुक्मरान नहीं चाहते थे कि नीतीश फिलहाल इस हालत में महिलाओं के साथ सीधे संवाद करें। एक तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जनसंख्या नियंत्रण पर विधानसभा के भीतर दिया गया विवादास्पद बयान और दूसरा एक कार्यक्रम में एक महिला के कंधे पर हाथ रखने वाला उनका जोशीला अंदाज।

सही मायने में अगर इसी तरह की कोई ऊंच -नीच महिला संवाद यात्रा के दौरान हो जाती और डिजिटल युग में कोई उसका वीडियो बनाकर वायरल कर देता तो चुनावी वर्ष में मामला बिगड़ जाता। क्योंकि अब चुनाव में महज 10 महीने ही शेष बचे हैं।

दूसरी तरफ विपक्ष भी तरह-तरह की बातें कर रहा था। तेजस्वी यादव कह रहे थे कि दो अरब से भी ज्यादा जनता की गाढ़ी कमाई और बिहार के विकास का पैसा मुख्यमंत्री अपने प्रचार प्रसार पर खर्च कर रहे हैं। तो वहीं लालू यादव ने तंज कसते हुए कह दिया कि नीतीश आंख सेंकने जा रहे हैं।

सूत्र तो यह भी बताते हैं कि बीजेपी भी नहीं चाहती थी कि नीतीश कुमार महिला संवाद यात्रा में महिलाओं से सीधे रूबरू हो। तो फिर क्या था, बस मुख्यमंत्री की यात्रा पर विराम लग गया और डैमेज कंट्रोल के लिए उच्च स्तर पर माथापच्ची होने लगी।

सोचा गया कि यात्रा तो करनी ही पड़ेगी। बशर्ते यात्रा नाम ही क्यों न बदल दिया जाए। तो महिला संवाद यात्रा का नाम परिवर्तित कर प्रगति यात्रा कर दिया गया। अब प्रगति यात्रा में यात्रा की रूपरेखा भी बदल गई। यात्रा पश्चिम चंपारण के वाल्मीकी नगर से निकाली जा रही है। लेकिन अब इस यात्रा का स्वरूप बड़ा हो गया है।

अब इस यात्रा के तहत नीतीश कुमार आम लोगों से मिलेंगे। जिसमें महिला, पुरुष, बुजुर्ग, बच्चे सभी होंगे। उसके पश्चात प्रदेश में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा बैठक होगी। साथ ही बिहार में जो नए विकास शुरू होने वाले हैं उसके लिए स्थल निरीक्षण का भी कार्य मुख्यमंत्री करेंगे।

मतलब अब तेजस्वी भले ही छाती पीट कर महिला संवाद यात्रा के नाम पर नीतीश सरकार पर फिजूलखर्ची का आरोप लगा रहे थे। मगर सच तो ये है कि अब इस यात्रा का स्वरूप बड़ा होने के कारण यात्रा का खर्च चौगुना बढ़ जाएगा। साथ ही चुनाव में इस यात्रा का फायदा नीतीश कुमार और एनडीए को मिलेगा। यही वजह है कि तेजस्वी यादव ने आनन फानन में अपनी सरकार आने पर महिलाओं को ₹2500 का हर महीने खाते में देने की बात कही।

अब ये संभव है कि यात्रा के दौरान पर नीतीश ऐसी ही किसी लोक लुभावनी योजना का ऐलान कर सकते हैं। क्योंकि झारखंड के नतीजे आने के बाद ही इस तरह की योजना पर नीतीश सरकार विचार कर रही थी। ताजा घटनाओं और चुनाव को सर पर देखते हुए यह कह सकते हैं कि बिहार के सभी नेता और पार्टियां नीतीश की यात्रा से पहले ही रनवे पर दौड़ने लगे हैं।

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