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टीम ट्रिकीस्क्राइब: पिछले एक महीने में राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे कई अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले लिए हैं। इन अधिकारियों में मुजफ्फरपुर के तत्कालीन SSP विवेक कुमार और तत्कालीन जेल DIG वीरचंद्र प्रसाद सिंह जैसे महत्वपूर्ण नाम शामिल हैं। इससे अब इन अधिकारियों पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
ED की जांच से भी बचेंगे अधिकारी
एफआईआर वापस लिए जाने से इन मामलों को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को हस्तांतरित करने का रास्ता बंद हो गया है। विशेष निगरानी इकाई (SVU) द्वारा इन अधिकारियों के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले दर्ज किए गए थे। लेकिन कुछ महीने पहले ही जांच एजेंसी ने इन FIR को वापस ले लिया है। हालाँकि, FIR वापसी की अधिसूचना अभी जारी नहीं की गई है और फिलहाल यह प्रक्रियाधीन है।
विवेक कुमार: भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद की कहानी
अप्रैल 2018 में मुजफ्फरपुर के तत्कालीन SSP विवेक कुमार के सरकारी आवास और अन्य ठिकानों पर छापेमारी की गई थी। छापेमारी में उनके आवास से पुराने नोट, कैश, और कई संपत्ति संबंधी दस्तावेज बरामद हुए थे, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। अब उनके खिलाफ लगे सभी आरोप हटा दिए गए हैं और उन्हें पुनः बहाल कर दिया गया है। इसी तरह का मामला जेल DIG वीरचंद्र प्रसाद सिंह का भी था, जिन्हें अब सेवानिवृत्ति के बाद राहत मिली है।
बालू खनन में मिली-भगत के आरोपों से बरी हुए अधिकारी
बालू के अवैध खनन में खनन माफियाओं के साथ मिली-भगत के आरोपों के तहत IPS अधिकारी सुधीर कुमार पोरिका और राकेश कुमार दुबे पर कार्रवाई हुई थी। सुधीर पोरिका को जुलाई 2021 में निलंबित किया गया था और हाल ही में उन्हें भी निलंबन मुक्त कर दिया गया है। भोजपुर के तत्कालीन SP राकेश कुमार दुबे पर भी बालू खनन में संलिप्तता का आरोप था और जून 2021 में उन्हें निलंबित किया गया था। लेकिन अब कैट न्यायालय के आदेश के बाद उन्हें भी सेवा में बहाल कर दिया गया है।
भ्रष्टाचार के मामलों में छापेमारी और निलंबन
2021-22 के दौरान बालू के अवैध खनन में संलिप्तता के आरोपों पर EOU ने 22 अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए थे। इन अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान अवैध संपत्ति बरामद की गई थी। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। वर्तमान में शामिल नौ पुलिस पदाधिकारी, जिनमें IPS राकेश कुमार दुबे, सुधीर कुमार पोरिका, और DSP पंकज कुमार प्रमुख हैं, सभी निलंबन मुक्त हो चुके हैं।
विभागीय कार्रवाई पर रोक और आगे की राह
इन अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामलों में जांच तो हुई, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अधिकांश अधिकारियों को निलंबन मुक्त कर दिया गया है और अब उन पर विभागीय कार्रवाई की संभावना भी खत्म हो गई है।
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